Top Guidelines Of bhairav kavach
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श्रीवटुकभैरवो देवता बं बीजं ह्रीं शक्तिरापदुद्धारणायेति कीलकं
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
न देयं पर शिष्येभ्यः कृपणेभ्यश्च शंकर।।
साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।
Spiritual Expansion: The Kavach is usually found being a Software for spiritual development, facilitating a further reference to the divine and aiding from the journey towards self-realization.
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अनेन कवचेनैव रक्षां कृत्वा विचक्षणः ।
न चाप्नोति फलं तस्य परं नरकमाप्नुयात् ॥ २८॥
पूर्वस्यामसिताङ्गो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ॥ ५॥
ऊर्ध्व पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ॥ ७॥
ॐ अस्य श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचस्य भैरव ऋषिः ।